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अत्रिः
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अत्री नदी
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அத்ரி நதி
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ਅੱਤਰੀ
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ଅତ୍ରି ନଦୀ
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اتری
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অত্রি
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അത്രി
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અત્રિ
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अत्रि
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अत्रिनदी
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देवर्षिः
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सप्तर्षिः
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मण्डल ५ - सूक्तं ४०
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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तृतीय परिच्छेद - भिक्षा
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - एकादशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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अध्याय ३०२ - नानामन्त्राः
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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saint
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४८३
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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चतुर्थः स्कन्धः - अथ एकोनविंशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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तृतीय परिच्छेद - श्राद्धसंपात असतां निर्णय
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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अहिर्बुध्नसंहिता - अध्यायः ३४
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - पञ्चत्रिंशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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अहिर्बुध्नसंहिता - अध्यायः ३५
संहिता हिन्दू धर्मातील पवित्र आणि सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदांतील मन्त्रांचे खण्ड होत.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ४७९
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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बृहत्संहिताः - अध्याय ४७
’बृहत्संहिता’ ग्रंथात वास्तुविद्या, भवन निर्माण कला, वायुमंडळाची रचना, वृक्ष आयुर्वेद इ. विषय अंतर्भूत आहेत.
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भर्गाख्यः पञ्चमांशः - षोडशोऽध्यायः
श्रीशिवरहस्यम्
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प्रायश्चित्तमयूख - प्रायश्चित्त ४३ वे
विधिविहित नित्यकर्म (संध्यादि) न केल्यामुळे, पाप केल्याने व सुरा इत्यादि निषिद्ध पदार्थांचे सेवन केल्यानें त्याच्या शुद्धिसाठी जें कर्म सांगण्यात येतें तें प्रायश्चित्त होय.
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कृतयुगसन्तानः - अध्यायः ५१५
लक्ष्मीनारायणसंहिता
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तृतीयपरिच्छेद - अर्घ्यपात्र
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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तृतीयपरिच्छेद - अन्नांचें परिवेषण
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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तृतीय परिच्छेदः - पिंडदान
निर्णयसिंधु ग्रंथामध्ये कोणत्या कर्माचा कोणता काल , याचा मुख्यत्वेकरून निर्णय केलेला आहे .
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